बस तू सुखी रह

सुखी रहने में ही सुख है ,बस तू सुखी रह

दुख आए जितना कर किनारे,बस तू सुखी रह 
छोटा है हर  दुख तेरा , सुख तेरे मन के भीतर है
तलाश तुझे जिसकी , उसी सुख में बस तू सुखी रह

कर चित्त को प्रसन्न ,प्रफुल्लित मन कर तू सुखी रह
हर पल जीवन का परम सुख बना ,बस तू सुखी रह
मूंद अपनी आंखों को और  कर ले हर उस पल को याद
जीले वो हर एक  खुशी एक और बार ,बस तू सुखी रह

लाख अंधेरा हो घना ,कर उजाला बस तू सुखी रह
निकलेगा सुख ढूंढने ,होगा सुख तेरा बस तू सुखी रह
निकलेगा एक दिन सूरज चाहे लाख हो घना अंधेरा
 सूरज की किरण से होगा एक दिन सवेरा बस तू सुखी रह





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