एहसास मेरे मन का


तू प्यारा सा अहसास मेरे मन का,
तू कल आज कल साज़ मेरे मन का
तू नैनों की ज्योति तू ही जलता हुआ दीपक
तू बेटी है मेरी ,तू ही नाज़ मेरे मन का

तू प्यारा सा हमराज़ मेरे मन का,
तू बोली भाषा अल्फाज़ मेरे मन का
अंधेरों मैं चमकता हुआ, बस तू ही है उजाला
तू उम्मीद है मेरी, इज़ाज़ मेरे मन का

तू प्यारी सी कश्ती तू जहाज मेरे मन का
तू जान तू जहान तू फ़राज़ मेरे मन का
तू मान है गुमान है ...तू धूप में शीतल छाव है
तू कोई तो फरिश्ता है,एज़ाज़ मेरे मन का

तू कोई तो फरिश्ता है,एज़ाज़ मेरे मन का
तू प्यारा सा अहसास मेरे मन का,

फराज़ - उचाईया
इज़ाज़- संबंध
एज़ाज़- चमक्कार
- swapna sharma 

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