मेरी लाडो


हर सोच से परे, हर ख्वाब से ऊपर,एक ख़ुशी मुस्कुराई है
छोटी छोटी दो आँखों ने जब देख मुझे मुहब्बत दर्शाई है
उसका सोना या हो उसका रोना,लाड लड़ाने को जी करता 
कभी उसकी हंसी तो कभी उसकी ख़ुशी जब दी दिखाई है
हर सीमा से परे है ये सुख, मेरी छोटी सी लाडो जो घर आयी है

क्या बताऊ ये अनुभव क्या बताऊ किन मर्जो की ये दवाई है
मेरी सुनी बगिया किन किन फुलों की खुशबू से इसने मेहकाई है 
छोटे छोटे होठो पे खुल के हंसी तो कभी खेल मे गुंजी इसकी किलकारी
जान छिड़क दूँ इसपे अपनी ये जब जब देख मुझे मुस्कायी है
हर सीमा से परे है ये सुख मेरी छोटी सी लाडो जो घर आयी है

बिटिया है मेरी, मेरी जान है मुझसी है ये मेरी ही परछाई है
 दुनिया के सब सुख इसके हों मेरी हर ख़ुशी इसमें ही बस समाई है
मेरे दिल की धड़कन, आँखों का सुकून और होठो की मुस्कुराहट है ये
बाकी तो दुनिया झूटी, और झूटी इस दुनिया मे बस यही एक सचाई है
हर सीमा से परे है ये सुख मेरी छोटी सी लाडो जो घर आयी है, मेरी छोटी सी लाडो जो घर आयी है
-Swapna Sharma 

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1 Comments:

  1. अति सुन्दर, अति भावात्मक कविता एक मां के द्वारा अपनी संतति को।
    भगवान आप दोनो को स्वस्थ,सुखद एवं दीर्घ आयु वर दें ऐसी मैं प्रार्थना करता हूं।

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