राष्ट्रीय पर्यटन दिवस


माना जिंदगी है चार दिन की बस कहानी
गुजर जायेगी एक दिन क्या यूं ही तुम्हे बितानी
सैर कर दुनिया की , कि फिर सफर आसान न रहेगा
घर मैं ही सिमट जाएगी दुनिया जो बीती फिर तेरी जवानी
- swapna Sharma

Share

& Comment

0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें

 

Copyright © 2015 Kavyagar.com™ is a registered trademark.

Designed by Templateism | Templatelib. Hosted on Blogger Platform.