क़िस्मत


किस्मत से अपनी एक रोज हम लड़ पड़े
तुझे लिखा है किसने हम उससे झगड़ पड़े
जिसे तू जैसी चाहिए उसे वैसी नहीं मिलती
किसी की अच्छी तो किसी की तू बिगड़ पड़े
किस्मत से अपनी एक रोज हम लड़ पड़े

जो मनचाही बना सकें तो जिन्दगी संवर पड़े
हर व्यक्ति पर दुनिया के हम भी अकड़ पड़े
जो जिसकी चाहत, तू उसकी क्यों नहीं होती
बता दे तू आज हमे क्या इसमें तेरा बिगड़ पड़े
किस्मत से अपनी एक रोज हम लड़ पड़े
- Swapna Sharma

Share

& Comment

0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें

 

Copyright © 2015 Kavyagar.com™ is a registered trademark.

Designed by Templateism | Templatelib. Hosted on Blogger Platform.