राहों में आते जाते

रास्ते तो बहुत मिले मुझे इन राहों में आते जाते
बस लोग कम थे ऐसे जो मंजिल तक पहुंचते जाते

लाख जलाए दिए अपनी ख्वाइशों की रोशनी के 
 पर आए  ऐसे तूफानों से ,जो उन्हें बुझाते जाते 

हर पत्थर रास्ते का रूबरू था परछाई से अब तो
उपहारों में भी पत्थर बस गहरे जख्म लगाते जाते

जब जब हारे बैठे ,मुसाफिर कई गुजरे उन राहों से
न कोई एक था ऐसा, जो मैरी प्यास बुझाते जाते

बदनाम हुए हम तो मुकद्दर बदलने की तम्मन्नाओ में
अरे कोई तो अपना होता, जो ये जहान लुटाते जाते
- Swapna Sharma

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