एक पिता जब कन्यादान देता है
कलेजे से निकाल कर अपनी जान देता है
कदर करो उसकी उस जान की
दान में मिली उसकी संतान की
एक पिता जब कन्यादान देता है
आंखों को नम कर अपना अभिमान देता है
संभाल के रखो उसके उस अभिमान को
वही बढ़ाएगी तुम्हारी भी स्वाभिमान को
एक पिता जब कन्यादान देता है
पूरे जीवन का कमाया अपना मान देता है
मान करो तुम भी उसके उस मान का
एहसान मानो एक पिता के उस दान का
पिता जब कन्यादान देता है
गुमान अपना देखकर तुम्हें सम्मान देता है
बनाए रखो तुम भी हमेशा उस सम्मान को
सम्मान देकर एक पिता के उस गुमान को
एक पिता जब कन्यादान देता है
काट अपना हिस्सा तुम्हारे नाम देता है
तुम्हारे ही नाम का है अब वह हिस्सा
बनने मत दो समाज में उसको एक किस्सा
-Swapna Sharma
कलेजे से निकाल कर अपनी जान देता है
कदर करो उसकी उस जान की
दान में मिली उसकी संतान की
एक पिता जब कन्यादान देता है
आंखों को नम कर अपना अभिमान देता है
संभाल के रखो उसके उस अभिमान को
वही बढ़ाएगी तुम्हारी भी स्वाभिमान को
एक पिता जब कन्यादान देता है
पूरे जीवन का कमाया अपना मान देता है
मान करो तुम भी उसके उस मान का
एहसान मानो एक पिता के उस दान का
पिता जब कन्यादान देता है
गुमान अपना देखकर तुम्हें सम्मान देता है
बनाए रखो तुम भी हमेशा उस सम्मान को
सम्मान देकर एक पिता के उस गुमान को
एक पिता जब कन्यादान देता है
काट अपना हिस्सा तुम्हारे नाम देता है
तुम्हारे ही नाम का है अब वह हिस्सा
बनने मत दो समाज में उसको एक किस्सा
-Swapna Sharma
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