मेरी माँ


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लाखो रचनाओं में अपनी, एक बनाई खुदा ने मूरत
सबको पीछे छोडा उसने, जब आयी सामने माँ की सूरत
अपनी इतनी रचनाओं में,  दिया है उसने हममे ये तोहफा
देखो कितनी अप्रतिम है, उस रचनाकार की यह ज़ीनत

हर दुख में वो कल भी खड़ी थी, आज खड़ी है जैसे फुरत
पाकर उसको जैसे उजली है अंधकार में अपनी किस्मत
वो है तो चंदा चमके अपना और हमेशा चमके सूरज
मेरे घर मै मेरी माँ है, हो जैसे मेरी एकलौती जरूरत

मेरे हर एक दिन का होता, उसका चेहरा देख महूरत
मेरी राहत मेरी माँ  है, एक आदत मेरी खूबसूरत
हँसता देखु उसे हमेशा, हर बसूरत में समाई है वो
हसरत मेरे जीवन की है, उससे ही है मेरी हर बरकत

ज़ीनत -सुन्दर
अप्रतिम - अद्भुत
फुरत - तैयार
बसूरत -जगह
बरकत -उन्नति

- Swapna Sharma
    
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