कुछ यादें
अँधेरी रातों को भी सोने नहीं देती है कुछ यादें
नम आँखों को भी रोने नहीं देती हैं कुछ यादें
इनको भुलाकर के कैसे सुकुन पाऊ मैं अब
मुझे आँसू पोछ खड़ा होने भी नही देती हैं कुछ यादें
अपने सपनो के भी मोती पिरोने नहीं देती हैँ कुछ यादें
मुझे चाह के भी उनको संजोने नहीं देती हैं कुछ यादें
पीछे छोड कर उनको जब बढ़ना चाँहू मैं जीवन में आगे
अपनी याद फिर भी खोने नही देती हैं कुछ यादें
- Swapna Sharma
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें