डरी सहमी सी सोच रही ,एक छोटी सी कली फूल की
क्या मैं भी निशानी एक बनूंगी, इंसान की हर भूल की
मेरी किस्मत में भी क्या एक फूल बनना नहीं लिखा है
दुष्ट इस मानव ने क्या अपना लक्ष्य यही चुना है
चुप बैठा एक पेड़ दूर से ,उस दुखी कली को देख रहा था
कैसे उसके डर को मिटाएं, कुछ उपाय वह सोच रहा था
फिर बोला वह दृढ़ मन करके,मेरे साथ भी यही किया है
अपने ही बस स्वार्थ साधने, मेरा भी जीवन यहीं लिया है
दोनों के मन की बातों को, जब जाते-जाते सुना पवन ने
बोली कष्ट दिया है हमको, इस नादान बर्बाद एक लगन ने
फैला के मुझ में भी प्रदूषण, खुद की सांस ही कर ली दूषित
अब कौन कहे इन नादानों को , इनकी दुष्ट करनी से सूचित
इन तीनों की बातों को सुन, शांत नदी में भी हुई हलचल
इनकी करनी का सबक मिलेगा, इनको आज नहीं तो कल
जितना दूषित करके हमको , इस मानव ने हमें सताया
एक दिन यह वैसे ही तड़पेगा, यह मैंने तुमको आज बताया
इन सब की तड़प की ही बद्दुआ, है जो हमको आज लगी है
इनकी तड़प की ही जैसी , जिंदगी हमको आज मिली है
माफी मांग इन सब से हम अब, अपना पर्यावरण बचाएं
खुद की सरल जिंदगी जी के, इन रुष्टो को आज मनाएं
- Swapna Sharma
About World Environment Day (विश्व पर्यावरण दिवस)
विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत कब हुई?
कभी सोचा ना था विश्व पर पुरे ऐसी भी, भय की ये विपदा आएगी
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